भारत का सांस्कृतिक अभ्युदय 2022

सदियों की परतंत्रता के बाद 1947 में देश को राजनैतिक स्वतंत्रता तो मिली किन्तु, दुर्भाग्यवश उसके सांस्कृतिक स्वरूप पर होने वाले अनवरत हमलों पर कोई विराम न लग सका। स्वतंत्रता के 7 दशकों तक भी  हम ना तो अपने मंदिरों को मुक्त कर पाए, न नदियों को, न सांस्कृतिक विरासतों को, ना अपने महापुरुषों को। हमारे ऐतिहासिक गौरव या गौरवशाली परंपराएं थीं उनको ऐतिहासिक विकृतियों के चलते कुरूपित किया जाता रहा। उनकी वास्तविकता कभी समाज के सामने आ ही नहीं पाई। किंतु, 2014 में अचानक अप्रत्याशित रूप से भारत के सांस्कृतिक अभ्युदय का मार्ग प्रशस्त…

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